equity share kya hai

Equity Share क्या होता हैं – जानिए Equity Meaning In Hindi ?

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आज के समय में पैसा कमाने के लिए Share Market बहुत ज्यादा तकलीफ है क्योंकि शेयर मार्केट का उपयोग लोग आसानी से अपने मोबाइल फोन में भी कर लेते हैं। इसके माध्यम से रोजाना हजारों रुपए कमाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि Share Market के भी अपने अलग ही रूल होते हैं और शेयर भी कई प्रकार के होते हैं। सभी लोगों को यह पता है कि उन्हें शेयर खरीदना है लेकिन शेयर दो तरह के होते हैं जैसे Preference Share और Equity Share यह दोनों ही शेयर अलग-अलग तरह के होते हैं। जो निवेशक कंपनियों के शेयर खरीदते हैं,, तो उनमें से केवल 25 या 30% लोगों को ही इन दोनों शेयर के बारे में पता होता है। Preference Share तो सामान्य है शेयर होता है जो अक्सर लोग खरीदते हैं। आज हम आपको Equity Share के बारे में बताने वाले हैं कि Equity Share Kya Hai तथा Equity Meaning In Hindi इसी के साथ साथ हम आपको Equity Share In Hindi तथा Equity Share Ke Baare Me Jankari देंगे ताकि आप अगली बार किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले अच्छे से सोच ले क्योंकि जब हमें पूरी जानकारी होती है तो हमारे पैसे डूबने के चांस भी काफी कम होते हैं।

Share Market में शेयर कितनी तरह के होते हैं ?

जो भी लोग Share Market में निवेश करते हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि शेयर दो तरह के होते हैं।

1. Preference Share

2. Equity Share

1. Preference Share

प्रेफरेंस शेयर कंपनी का वों शेयर होता है जिसमें कंपनी फायदे में जाए या फिर डूब जाए दोनों ही स्थिति में प्रेफरेंस शेयर में निवेश करने वाले निवेशकों को तय की गई लाभ की राशि एवं मूलधन दोनों ही वापस मिल जाता है। सामान्य तौर पर लोग प्रेफरेंस शेयर में ही पैसे लगाते हैं लेकिन Preference Share से कई गुना ज्यादा बेहतर इक्विटी शेयर होता हैं, क्योंकि इक्विटी शेयर में जब फायदा होता है तो वह काफी ज्यादा होता है।

2. Equity Share

  • इक्विटी शेयर कंपनी के वे शेयर होते है जिसमें तय की गई लाभ की राशि नहीं होती इक्विटी शेयर में शेयरहोल्डर को कंपनी का मालिक ही माना जाता हैं। मान लीजिए कि कंपनी ने अपने 100 शेयर मार्केट में भेज दिए और यदि किसी भी निवेशक ने इन 50 शेयरों को खरीद लिया है तो वह कंपनी का 50% तक का हिस्सेदार हो जाता हैं। यदि भविष्य में कंपनी घाटे में जाती हैं , तो निवेशक भी काफी ज्यादा घाटे में जाएगा और जब कंपनी को प्रॉफिट होगा तो इक्विटी शेयर होल्डर को भी उतना ही प्रॉफिट होगा जितना कि कंपनी के मालिक को हो रहा हैं। क्योंकि Equity Share Holder एक तरह के कंपनी के मालिक ही होते हैं इसीलिए कंपनी के फायदे और नुकसान में इनका भी हिस्सा होता हैं।
  • Equity Share Holder को कंपनी के सभी मामलों में मत देने का अधिकार होता है। यदि किसी कारणवश कंपनी डूब रही है तो उस समय इक्विटी शेयर होल्डर कंपनी के मालिक को अपना मत दे सकते हैं। अगर उनका मत कंपनी के हित में है तो उसे तुरंत ही काम में लिया जाता हैं। यदि किसी भी Share holder के पास सबसे ज्यादा Equity Share हैं तो वह Board of Directors को भी चुन सकते हैं।
  • जब किसी भी कंपनी को सबसे ज्यादा फायदा होता हैं , तो उस समय Equity Share Holder को सबसे ज्यादा फायदा होता है। विपरीत स्थिति में जब कंपनी डूब जाती है या फिर कंपनी को काफी ज्यादा नुकसान होता हैं, तो उस समय Equity Share Holder को भी काफी ज्यादा नुकसान होता हैं।
  • Equity Share को प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट दोनों से ही खरीदा जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति आईपीओ या एसपीओ खरीदता है तो उसे हम Primary Market कहते हैं। जब हम किसी मान्यता प्राप्त Brokers से कोई शेयर खरीदते हैं तो उसे Secondary Market कहा जाता है।

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